उत्तर प्रदेश में टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए राज्य-स्तरीय परामर्श, बाजार पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक प्रयास**
20 मई 2025 | लखनऊ, उत्तर प्रदेश:** उत्तर प्रदेश में कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में ‘कैपिटल्स अप्रोच’ (Capitals Approach) को लागू कर कृषि-प्रणालियों को रूपांतरित करने के रास्ते तलाशने के लिए आज लखनऊ में एक राज्य-स्तरीय हितधारक परामर्श आयोजित किया गया। इस परामर्श का आयोजन सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस (CRB) और यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस कार्यक्रम में किसानों, फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन्स (FPOs), फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों (FPCs), क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBOs) और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि कैसे प्राकृतिक, सामाजिक, मानव और उत्पादित पूंजी को एकीकृत करके अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियाँ अपनाई जा सकती हैं, जिससे जलवायु संबंधी जोखिम कम हों, बाजार तक पहुंच बढ़े और आय में सुधार हो। विशेष ध्यान एग्रोफॉरेस्ट्री और जैविक खेती पर दिया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने इन पूंजी घटकों पर अपनी निर्भरता और प्रभावों पर विचार किया और अपने खेती के तरीकों को इनके अनुरूप ढालने के संभावित लाभों पर चर्चा की।
परामर्श के हिस्से के रूप में, प्रतिभागियों ने उत्तर प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख फसलों—जैसे गेहूं, धान, सरसों, मूंगफली और हरी मिर्च—की मूल्य श्रृंखला का मानचित्रण किया। इन चर्चाओं में उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, निर्माण और उपभोग तक पूरे जीवन चक्र को शामिल किया गया, ताकि यह समझा जा सके कि हस्तक्षेप की सबसे अधिक आवश्यकता कहां है।
‘कैपिटल्स अप्रोच’ पारंपरिक कृषि ज्ञान और किसानों की आधुनिक आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाते हुए टिकाऊ कृषि के लिए एक समग्र और समावेशी मॉडल प्रदान करता है।
**रिजित सेनगुप्ता**, चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर, सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस (CRB) ने कहा, “CRB ने UNEP के साथ मिलकर असम और उत्तराखंड में ‘कैपिटल्स अप्रोच’ पर सफल परामर्श किए हैं, और अब हम उत्तर प्रदेश में कार्य कर रहे हैं। इस परामर्श में, हमने उत्तर प्रदेश में FPOs, FPCs और CBBOs के साथ संवाद किया और उन्हें प्राकृतिक, सामाजिक, मानव और उत्पादित पूंजी पर उनकी निर्भरता और प्रभावों की पहचान में सहायता की—खासकर धान, गेहूं, हरी मिर्च जैसी फसलों के संदर्भ में। यह उत्तर प्रदेश में विभिन्न समूहों के साथ प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण हेतु दीर्घकालिक साझेदारी की शुरुआत है, जिसे हम आने वाले वर्षों में जारी रखेंगे।”
परामर्श में जिन वक्ताओं ने भाग लिया, उनमें शामिल थे: **श्रीमती लीना जौहरी**, आईएएस, प्रमुख सचिव, बाल विकास, पोषण और महिला कल्याण विभाग; **श्री अनिल यादव**, संयुक्त निदेशक – कृषि, उत्तर प्रदेश सरकार; **डॉ. मेराज आलम अंसारी**, वरिष्ठ वैज्ञानिक, ICAR–भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान; **विश्वास पांडे**, एसोसिएट डायरेक्टर – इनक्यूबेशन, जागृति एंटरप्राइज सेंटर; **शिवानी बुंदेला**, संस्थापक, अब्रोसा; **ललित कुमार सिंह**, डिप्टी मैनेजर – एचआर, प्लांटेशन एवं विशेष परियोजनाएं, ग्रीनप्लाय इंडस्ट्रीज लिमिटेड; और **रिजित सेनगुप्ता**, चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर, सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस।
परामर्श के दौरान प्रमुख चर्चाएं पारंपरिक कृषि प्रणालियों को मजबूत करने, प्राथमिक फसलों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) के माध्यम से मूल्य श्रृंखलाओं का विकास करने, उत्पादकता बढ़ाने, कृषि-उद्यमियों को कौशल देने, मज़बूत बाज़ार संपर्क स्थापित करने और संदर्भ-उपयुक्त तकनीकों को अपनाने पर केंद्रित रहीं।
प्रतिभागियों को उत्तर प्रदेश की चुनिंदा फसलों के माध्यम से ‘कैपिटल्स अप्रोच’ की मूलभूत अवधारणाओं से परिचित कराया गया, ताकि वे इसे व्यावहारिक रूप से समझ सकें।
यह पहल भारत में टिकाऊ कृषि और खाद्य मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए UNEP–CRB साझेदारी का हिस्सा है, जिसमें TEEBAgriFood दिशानिर्देशों को लागू किया जा रहा है। ये दिशानिर्देश कृषि-खाद्य प्रणालियों में सिस्टम-थिंकिंग (समग्र दृष्टिकोण) को बढ़ावा देते हैं, जिससे व्यवसाय और नीति-निर्माता प्राकृतिक, सामाजिक, मानव और उत्पादित पूंजी के पूरे मूल्य को अपने निर्णयों में समाहित कर सकें।
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