लखनऊ माल एवेन्यू के लेम्बूआ होटल में श्री केपीएस वर्मा जी ने किया पुस्तक विमोचन

 


आज लखनऊ के माल एवेन्यू के लम्बुआ होटल में के पी एस वर्मा ने अपने 75 वे जन्मदिन के अवसर पर अपने जीवन के अनुभव के आधार पर दो पुस्तक का विमोचन किया जिसमें उनकी प्रमुख पुस्तक (कुछ टूटने की आवाज) और दूसरी (भूल गया सब कुछ) का विमोचन किया अपनी पहली पुस्तक कुछ टूटने की आवाज के पुस्तक के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा यह पुस्तक समर्पित है मेरे बड़े भैया श्री धर्म सिंह और इंद्र सिंह को जिन्होंने पहली पुस्तक पढ़ने के बाद उत्साह बढ़ाया यह कहकर कि घर में इंजीनियर है डॉक्टर है शिक्षक है फौजी है पुलिस है इस है पर कोई लेखक नहीं था तुमने यह कमी पूरी कर दी पुस्तक के शीर्षक के विषय में बताते हुए उन्होंने बताया यह पुस्तक हमने कुछ टूटने की आवाजों के विषय में लिखा है जैसे कोई सजीव वस्तु टूटता है तो आवाज आती है वैसे ही एक दिल टूटना भरोसा टूटना जमीर मनोबल का टूटना हमने अपने जीवन में यह देखा और अपने अनुभव को इस पुस्तक में कलम बंद करके पिरोया और दूसरी पुस्तक भूल गया सब कुछ उनकी बेटी कंचन वर्मा इस सर्व शिक्षा विभाग डायरेक्टर यह पिताजी के वास्तविक जीवन की घटना है उनको भूलने की बहुत आदत है

उन्होंने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि एक बार पिताजी माता जी को कहानी लेकर गए थे वही भूल कर घर चले आए और घर आकर पिताजी ने पूछा कंचन मा कहां है तो मैंने बताया वह तो आपके साथ गई थी इस घटना का जिक्र करते हुए केपीएस वर्मा जी ने बताया मेरी पत्नी सरोज वर्मा की तेज नजर से मेरी बेवकूफी बच नहीं पाई और जब कलई खोल ही रही तो सोचा क्यों ना पाठक से शेयर कर व्यंगकार होने का तमगा पा लिया जाए मेरी बेटी कंचन वर्मा को जो पापा बढ़िया लिखते हो छपवाते क्यों नहीं कह कर,हवा भारती रही मेरे साहित्यिक गुब्बारे में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए और बताया उन फेसबुक मित्रों को जो खुले दिल से उत्साह वरधन करते रहे मेरी हर साहित्यिक रचना के बाद अपने कमेंट के द्वारा खासकर श्रीमती सुषमा सक्सेना को जो मेरी साहित्यिक बैरोमीटर की तरह रही मेरी रचनाओं के आकलन में सबको मैं धन्यवाद देता हूं

 


आज पुस्तक विमोचन में पीयूष सक्सेना, डॉ अतुल अग्रवाल केपीएस वर्मा डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव अविनाश जैन सरोज वर्मा ने साथ दिया मैं इन सभी को तहे दिल से हार्दिक स्वागत करता हूं

 और उन्होंने आम जनमानस के लिए यही संदेश दिया कि जीवन में मेरी ही किताब पढ़ना कोई जरूरी नहीं लेकिन रोज पढ़ने की आदत डालना कुछ भी पढ़े कॉमिक्स पढ़े कहानी पढ़े सिलेबस के बुक पढ़े लेकिन पढ़ने की आदत डालना सबसे महत्वपूर्ण है

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