लखनऊ 12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी की 161वीं जयंती पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद लखनऊ महानगर द्वारा ,लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में 2047 का भारत और विवेकानंद विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ .राजशरान शाही, विशिष्ट अतिथि के रूप में उ. प्र. सरकार के मा.राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी उपस्थित रहे।
सभागार में उपस्थित युवाओं के समक्ष अपने उद्बोधन को प्रकट करते हुए अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने स्वामी जी के विचारों को साझा करते हुए कहा जिस कालखंड में स्वामी जी का जन्म हुआ वह भारत की पराधीनता का कालखंड था,वह कालखंड भारत को साबित करने का कालखंड था,ऐसे कालखंड में भारत की पराधीनता के मूल तत्व को पहचानते हुए स्वामी विवेकानंद जी ने अंग्रेजों के षड्यंत्रों को भारत के समक्ष न सिर्फ रखने का काम किया बल्कि भारत को पुनः विश्व पटल पर श्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में कैसे स्थापित किया जाए इसके लिए युवाओं के प्रेरणा स्रोत के रूप में हम सबके बीच में उभर कर सामने खड़े हुए। विवेकानंद जी के विचारों से प्रेरित प्रधानमंत्री के भाषण को साझा करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अगर भारत को विकसित बनाना है तो हमें पांच प्रण लेने होंगे विकसित भारत का संकल्प, विरासत पर गौर,हीनता के भाव से स्वतः को मुक्त करना ,समता - समरसता - और एकता के भाव का जागरण , नागरिक कर्तव्य का बोध, आज जब हम स्वामी जो को स्मरण करते हैं तो उनका एक वक्तव्य हमें बार-बार उनको नमन करने को प्रेरित करता है वह कहते थे मेरा भारत मेरे बचपन का झूला है मेरे यौवन की फुलवारी है और मेरे बुढ़ापे की काशी है।
विवेकानंद को स्मरण करते हुए विशिष्ट अतिथि मा. राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि वह हमेशा कहते थे भारत तभी विकसित होगा जब भारत का प्रत्येक युवा शिक्षा ग्रहण करे, मेरे आशा और विश्वास के केंद्र में भारत का युवा है। निश्चित तौर पर स्वामी विवेकानंद जी हम सब युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं जिस तरीके से उन्होंने भारत का डंका पूरे विश्व के सामने बजाया भारत की उपलब्धियों को पूरे विश्व के सामने प्रदर्शित करने का काम किया, उस समय भारत की क्षमताओं का विस्तार और उनके गुणों को पूरे विश्व के सामने रखने का काम किया, जिस समय भारत को विकसित देशों द्वारा हेय दृष्टि से देखा जाता था। उस समय साधारण वेशभूषा धारण किए हुए भारत के उस नवजवान ने पूरे विश्व के सामने भारत की कीर्ति पताका लहरा दी। स्वामी जी का सपना था जब तक प्रत्येक व्यक्ति के सर के ऊपर छत न हो जाए मैं अपने आप को दुर्भाग्यशाली समझूंगा।
उन्होंने कहा मैं विद्यार्थी जीवन से अभाविप का कार्यकर्ता हूं आज मैं जो भी हूं पूज्य स्वामी जी की प्रेरणा से हूं, *उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर स्थित स्वामी विवेकानंद जी के प्रतिमा स्थल का नवीनीकरण करते हुए अपनी विधायक निधि से स्वामी विवेकानंद की विशाल प्रतिमा स्थापित कराने की घोषणा की।*
कार्यक्रम में अथितियों द्वारा युवोत्सव के अंतर्गत प्रतिभागी छात्राओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में अथितियों का स्वागत महानगर उपाध्यक्ष प्रो. वीना रॉय ने किया। कार्यक्रम का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई मंत्री जतिन शुक्ला तथा आभार ज्ञापन महानगर मंत्री अभिनव सिंह ने किया कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष जयव्रत राय, डॉ. इंद्रेश शुक्ला, राजाराम कुशवाहा,कस्तूरी सिंह,अनुज श्रीवास्तव,भूपेंद्र सिंह, विकास तिवारी, अनुराग मिश्रा,तुसार कनौजिया,कुशुम कनौजिया,शिवाली मिश्रा, रिशेंद्र सिंह , लक्ष्य दुबे, हिमांशु सिंह, अमन सिंह, विक्रांत सिंह, आराध्या सिंह, साक्षी आदि कार्यकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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